विलीन होती ग्रामीण सभ्यता
जैसा की हम सभी जानते है की तेजी से बढती हुई इस आधुनिकता में बहुत सी चीजे विलीन होती जा रही है | आधुनिकीकरण का प्रभाव इस कदर लोगो पर पड़ रहा है की हर कार्य को वे तेजी से पूरा कर लेना चाहते है | लोगो के पास वक़्त की कमी है | विज्ञान और प्रोद्योगिकी ने दुनिया का नक्शा ही बदल डाला है | आज हमे हज़ारों किलोमीटर की दूरी, दूरी नहीं लगती है | आज के इस युग में हर वक़्त कुछ नया हो रहा है | हमारा देश भारत भी तेजी से इस प्रतिस्पर्धा में बढ़ रहा है | भारत के कई नगरो को विश्व में जाना जाने लगा है |
मगर भारत एक कृषि प्रधान देश है, और कृषि से प्राप्त आय भारत के सकल घरेलु उत्पाद का एक बहुत बड़ा हिस्सा है | परन्तु प्रश्न यह उठता है की हमारे नगर तो आधुनिक हो रहे है, पर हमारे ग्राम क्यों पिछड़ते जा रहे है | ग्राम जो की कृषि के लिए जाने जाते है | हमारे अन्नदाता यही बसते है | ग्राम का नाम सुनते ही हमारे मस्तिष्क में पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, और तालाब-जलाशयों आदि का चित्र उभर आता है| परन्तु इनका नाम सुनते ही एक और चित्र भी उभरता है, वह है , गन्दगी, प्रदुषण, आसमाजिकता, ख़राब रास्ते, कचरे का ढेर आदि | इसी अव्यवस्था के कारण ग्राम के लोग नगरों की और पलायन करने लगे है |जिसके कारण नगरों में जनसँख्या का घनत्व तेजी से बढ़ रहा है , लोग फूटपाथ पर सोने को मजबूर है, जबकि एक कृषि प्रधान देश होने के नाते भारत के ग्रामों को नगरों से भी आधुनिक होना चाहिये, परन्तु स्थिति इसके ठीक विपरीत है | आज ग्रामो में ग़रीबी , बेरोजगारी बढती जा रही है , यहाँ के लोग सभ्य समाज की कामना ही नहीं कर पा रहे है , जिसका सीधा दोष सरकार पर जाता है | सरकार इन जगहों पर ध्यान ही नहीं देती है , जब चुनाव का वक़्त आता है तो राजनेता वोट के खातिर इन गॉवो में घूमना शुरू कर देते है | क्योंकि राजनितिक पार्टियों के ज्यादातर वोट-बैंक ग्रामों में ही मौजूद है | यहाँ चुनाव के वक़्त नेतागण जनता को प्रोलोभन देते है , ताकि वे उन्हें वोट देकर सत्ता में ले आये , और जनता को जाती-धर्म आदि के आधार पर बाट देते है | ग्राम की जनता की आवाज़ सुनने के लिए ग्राम पंचायतो और ग्राम सभाओं को वृहद् स्तर पर बढाया गया है | परंतु इन सभाओं और पंचायतों से ग्राम की जनता को क्षणिक लाभ ही मिल पाया है | क्योंकि ग्रामों में ज्यादातर लोग निरक्षर होते है , जिसका फायदा पढ़े लिखे महाजन उठाते है | वे अपने रौब और बहुबल के दम पर पंचायती या प्रधानी चुनावों में अपनी जीत पक्की करवा लेते है , और सरकार द्वारा दी गयी धनराशी को अपनी जेब में रख लेते है | निरक्षरता के कारण यहाँ की जनता बाहुबलियों के खिलाफ़ आवाज़ भी नहीं उठा पाती है और उन्हें किसी चीज़ की जानकारी भी नहीं होती है | और कुछ साक्षर लोग जब इस आराजकता का विरोध करते है तो उन्हें या तो रुपये देकर चुप करा दिया जाता है या डरा-धमका कर शांत कर दिया जाता है | इस प्रकार सरकार द्वारा ग्रामों के विकास के लिए तो कई कार्यक्रम आयोजित किये जाते है , परन्तु वे सुचारू रूप से चल नहीं पाते है | इन कार्यक्रमों में दी जाने वाली राशि आधिकारी और नेतागण गमन कर जाते है | छोटे कस्बो में नगरपालिकाये बनायीं जाती है , ताकि वे कस्बों की साफ़-सफ़ाई पर ध्यान दे सके , परन्तु नगरपलिकाओ का कोई भी आधिकारी या कर्मचारी ध्यान नहीं देता है | शिकायत करने पर प्रशासन कुछ दिन के लिए हरक़त में आता है, परन्तु फिर बाद में वही हालात वापस आ जाते है | कृषि प्रधान देश होने के नाते अगर भारत के ग्राम ही स्वच्छ और सुन्दर नहीं रहेंगे तो विश्व में देश का क्या प्रभाव पड़ेगा | नगरों के चिकत्शालायो में ज्यादातर ग्रामीण लोग ही भर्ती होते है | इसका एक मात्र कारण यही है की ग्राम में गंदे पानी की निकास की व्यवस्था न होना , कचरों का ढेर , मृत पशुओं का खुले में पड़े रहना , खुले में शौच जाना आदि | जिससे अनेक प्रकार के संक्रामक रोग फैलते है , जिससे ग्राम की जनता ही प्रभावित होती है | निरक्षर होने के कारण जनता भी इन विषयो पर ध्यान नहीं देती है जिससे प्रदूषण को और बढ़ावा मिलता है | कुछ रुढ़िवादी मानसिकता वाले लोग ग्राम समाज के विकास में भी बाधक बनते है , और ईश्वर के नाम पर लोगो को डरा-धमका के रखते है | इस प्रकार अगर ऐसे ही चलता रहा तो एक दिन ग्रामीण सभ्यता का अंत हो जायगा , जिसकी शुरुवात लगभग हो चुकी है | हम अपनी सभ्यता को भूलते जा रहे है , भारत जिसकी विश्व में पहचान ही सभ्यता और संस्कृति के कारण है वो अब विलीन होती जा रही है | हमारी लोक संस्कृति , शिक्षा जो की ग्रामीण सभ्यता की देन है आज विलुप्ति की कगार पर है | हमारे ग्राम ही देश की बुनियाद है , अगर यही नष्ट हो गए , तो हमारा देश कैसे विकास करेगा ?
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