Monday, 24 March 2014



भक्ति के नाम पे अराजकता क्यों ?
जैसा की आप सभी जानते है की शिवरात्रि आने वाली है , इस बात का पता तो आपको सड़को पर से गुजरते कावेरियो के झुण्ड से ही पता चल गया होगा | अब कवेरिये कौन है ये जानना भी जरुरी है, क्यूंकि तेजी से बढ़ती हुई आधुनिकता में हम इनको भी भूलते जा रहे है |
कवेरिये शिव भक्त होते है , जो हर शिवरात्रि पर शिव के प्रख्यात मंदिरों में पुजा अर्चना के लिए पहुचते है | ये अपनी मान्यताओ के अनुसार हजारो की संख्या में अपने घरो से पैदल ही शिव की बारात में शामिल होने ले लिए पहुचते है | ये शिव के परम भक्त माने जाते है |
इस बात में तो कोई शक नहीं है की ये परम शिव भक्त है और वो शिव को प्रसन्न करने के लिए कोई कसर भी नहीं छोड़ते है | पर क्या शिव तभी प्रसन्न होते है जब हम अपनी मानवीयता को भुला के भक्ति करे , हम भक्ति के नाम पे अराजकता फैलाये, क्या तभी शिव की पूजा सफल होती है |
प्रायः देखा जाता है की जब कावेरिये सड़को पर से झुण्ड बनाते हुए गुजरते है तो वे रह चलती जनता को काफी परेशान करते है , अक्सर कुछ कावेरिये सड़को पर लड़कियों से अभद्रता करते हुए भी नज़र आते है | अगर कोई इनका विरोध भी करता है तो वे संख्या में अधिक होने का लाभ उठा कर लड़ाई-झगड़े पे उतर आते है , जिसके कारण जनता अक्सर कावेरियो द्वारा की गई छेड़खानी और उपद्रव को नजरअंदाज करती है , पोलिस महकमा भी इन्हें शिव भक्त बता कर इनसे पलड़ा झाड़ लेती है |
कुछ नए–नविले शिव भक्तो का भी उत्साह इनको देख कर बढ़ जाता है और वे राजनीति में अपने पैर जमानें के लिए इनकी मदद के नाम पर इन्हें और छुट प्रादान करते है ,जिसके कारण इनकी उद्दंता  चरम सीमा पर पहुच जाती है ,ये भक्ति छोड़ कर आराजकता पर उतर आते है , रात में यात्रा करते वक़्त ये आने जाने वाले यात्रियों से लूट-पाट भी करते है,यही नहीं जब ये अपने गाओ से निकलते है तो धर्म के नाम पर डरा करके मासूम गाववालो से जबरन वसूली करते ह,और उन पैसो से ये जुवा खेलते है , और गांजा , शराब आदि को शिव का प्रसाद बता कर पीते है | सड़को पर चलते वक़्त ये  शोर मचाते हुए चलते है और आने-जाने वाली गाडियों का रास्ता रोक लेते है जिससे सड़क-जाम की बड़ी समस्या उत्पन्न होती है |
दरअसल देखा जाये तो ये शिव भक्त गाओ के बेरोजगार नवजवान होते है , जिनके पास करने के लिए कुछ काम नहीं होता है , और पैसा कमाने के लालच में ये शिव भक्ती का चोला ओढ़ कर असमाजीक कार्य करते है , कानूनी प्रक्रिया ढीली होने के कारण और राजनेताओ का श्रय मिल जाने के कारण इनके हौसले और बुलंद हो जाते है और उसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है |
हम हमेशा भक्ति में इतने अंधे हो जाते है की हमे समाज में रह रहे अन्य लोगो की परवाह नहीं रह जाती है और उसका परिणाम बहुत बुरा होता है | इसका प्रभाव खाली रह चलती जनता पर ही नहीं पड़ता है , बल्कि कावेरिये भी परेशान होते है , कुछ लोग इनसे बदला लेने के चक्कर में कम संख्या वाले झुंडो को अपना निशाना बनाते है और हत्याय तक कर देते है जिससे अफरा-तफरी का माहोल बन जाता है|
सरकार भी इन शिव भक्तो के ऊपर ध्यान नहीं देती है , इनके रास्ते में चलने के लिए हर साल तमाम तरह की सुविधाये देने का वायदा किया जाता है ,पर सुविधाये कावेरियो तक पहुच ही नहीं पाती है , जिससे इनमे आक्रोश की भावना भरी रहती है | कई बार रास्ते चलते कावेरियो पर बस और ट्रके चढ़ जाती है , जिससे इनकी मौत हो जाती है , और इन हादसों का बदला लेने के लिये ये राह चलती जनता को परेशान करते है | और भक्ति के नाम पे अराजकता फैलाते है |
भक्ति का अर्थ ये नहीं होता है की हम अपने आस पास के लोगो को परेशान करे की तभी जा के हमारी भक्ति का पता शिव को चलेगा , भक्ति मन से और शांति से की जानी चाहिए ताकि आस पास के लोग इससे शोर-शराबा समझ कर दूर न भागे | किसी भी भक्त की भक्ति तभी सफल हो सकती है जब वह दुसरो को बिना तकलीफ पहुचाये भक्ति करे, तभी शिव प्रसन्न होंगे |
                                                         

                                                           दीपंकर शर्मा
                                                          एम0जे0एम0सी
                                                       लखनऊ विश्वविद्यालय

No comments:

Post a Comment